जयपुर, 14 सितंबर ! राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को कहा कि कश्मीर मुद्दे पर पूरा देश एकसाथ है और कोई भी भारतीय कश्मीर पर पाकिस्तान की बुरी नजर को बर्दाश्त नहीं कर सकता जो भारत का अभिन्न अंग है। गहलोत शनिवार को बिड़ला सभागार में विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी हर बार पाकिस्तान का नाम लेकर जनता को गुमराह नहीं कर सकते। पूरा मुल्क एक साथ है। राहुल गांधी ने कहा कि पाकिस्तान ने उनके नाम का गलत इस्तेमाल किया और वह कोई गलतफहमी नहीं पाले। पूरा मुल्क एकसाथ रहेगा। कश्मीर अभिन्न अंग है। पूरा मुल्क साथ है।’’
उन्होंने कहा कि भारत ने दुनियाभर में खुद के लिए सम्मान अर्जित किया क्योंकि आजादी के बाद 70 साल में बनी सभी सरकारों ने लोकतंत्र को बरकरार रखा। जम्मू कश्मीर में धारा 370 के अधिकतर प्रावधान और 35-ए हटाए जाने के मुद्दे पर गहलोत ने कहा कि वहां के लोग 40 दिनों तक घरों में कैद रहे और मीडिया, इंटरनेट सब बंद था जो लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘आप कार्रवाई कर सकते हैं लेकिन दुनिया को पता होना चाहिए कि हम लोकतंत्र में विश्वास करते हैं। क्या प्रधानमंत्री मोदी की जिम्मेदारी नहीं है कि वे देश को बताएं कि कश्मीर में क्या चल रहा है। जो कार्रवाई की उसका क्या नतीजा निकला, देश के लिए आगे की नीतियां क्या हैं।’’
गहलोत ने कहा, ‘‘भाषा लोगों को आपस में जोड़ने का काम करती है। हमारे देश में अनेक भाषाएं और बोलियां हैं, लेकिन फिर भी हमारा देश एक है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए। आज चीन और जापान जैसे देश अपनी ही भाषा के माध्यम से आगे बढ़ रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आजादी की लड़ाई में मुल्क को एक रखने में हिन्दी का बड़ा योगदान रहा है। महात्मा गांधीजी, पं. नेहरू, रवीन्द्रनाथ टैगोर, मौलाना अबुल कलाम आजाद जैसे हमारे महान नेताओं ने भी हिंदी को अपनाया और प्रोत्साहन दिया।’’
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भी हिन्दी को बढ़ावा देने में किसी तरह की कमी नहीं रखेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेशवासियों की उम्मीदों पर खरा उतरने में कोई कमी नहीं रखेगी। उन्होंने कहा, ‘‘मैं हर वो काम करूंगा, जो प्रदेश की जनता चाहती है।’’
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने अकादमी से जुडे़ तीन साहित्यकारों डॉ. हरिमोहन सक्सेना, डॉ. रीता प्रताप तथा डॉ. ममता चतुर्वेदी को प्रज्ञा पुरस्कार तथा विशेष योगदान के लिए सात लेखकों डॉ. विवेक शंकर, डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंघवी, नरेन्द्र यादव, बृज गोपाल शर्मा, डॉ. लाखाराम चौधरी, डॉ. कृष्णकांत पाठक तथा डॉ. रामकुमार तिवाड़ी को सम्मानित किया। इस अवसर पर अकादमी से जुडे़ अन्य लेखकों को भी सम्मानित किया गया।
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