26 जून एंटी-ड्रग्स डे पर फरीदाबाद पुलिस चलाएगी नशामुक्ति अभियान

  • नशे के कारण गलत दिशा में भटके युवाओं को सही दिशा दिखाएगी फरीदाबाद पुलिस
  • पुलिस करेगी युवाओं को ड्रग्स के ख़तरो के प्रति जागरुक, ड्रग्स से दूर रहना ही युवाओं के लिए सुरक्षा- पुलिस उपायुक्त NIT डॉ अंशुल सिंगला

फरीदाबाद : पुलिस उपायुक्त NIT डॉ अंशुल सिंगला ने एंटी- ड्रग्स डे 26 जून के अवसर पर नशे के खिलाफ ‘ड्रग्स फ्री फरीदाबाद’ अभियान शुरु किया जाएगा। अभियान का मुख्य उदेश्य युवाओ को नशे से बचाना होगा।

डॉ सिंगला ने नशे को अपराध का बडा कारण बताते हुए शहर में कानूनी कार्रवाई के लिए दिये दिशा निर्देश, सभी नशा तस्करो पर कढ़ी नज़र रखे, उन्होने बताया कि पहले युवा नशेड़ी बनता है फिर नशे की पूर्ती के लिए करता है अपराध। जिसके कारण नशेडी स्वयं भी बन जाते है नशा तस्कर, मल्टी लेवल मार्कीटिंग का मॉडल अपनाते है।

आंकड़ो के अनुसार, 19 जून 2020 तक फरीदाबाद जिले में कुल 18 NDPS ACT. के मुकदमे दर्ज किये गये। जबकि वर्ष 2021 में अबतक NDPS ACT. के तहत 137 मुकदमे दर्ज किये जा चुके हैं, जो एक वर्ष में लगभग आठ गुना वृद्धि प्रदर्शित करता है। जिसमें सेंट्रल जोन में (4 से 40), NIT जोन में (8 से 65) और बल्लबगढ़ जोन में (6 से 32) है।

ड्रग्स के सेवन से नशे की लत को पूरा करना युवा वर्ग का प्रमुख एवं व्यापक समस्या है। इस समस्या से जहाँ परिवार विघटित होता है, वहीं समाज संक्रमित होता है, यह मात्र एक सामाजिक समस्या ही नहीं है, अपितु चिकित्सकीय एवं मनोवैज्ञानिक समस्या भी है। यहां एक ऐसा दलदल है, जिसमें धंसने वाला खुद तो तबाह होता ही है, साथ ही उसका पूरा परिवार भी तबाह होता है।

ड्रग्स के दुष्प्रभाव से नशेड़ी खुद को ही नही अपितू ये परिवार, समाज और राष्ट्र को भी जर्जर करते हैं। यही कारण है कि युवाओं को ड्रग्स से मुक्त रखना अनिवार्य है। ड्रग्स का सेवन का मतलब है ‘डार्कनेस’ – जीवन में अंधेरा, -‘डिस्ट्रक्शन’ – बर्बादी के मोड़ पर पहुँचना तथा ‘डिवास्टेशन’ – सम्पूर्ण रुप से तबाही। ड्रग्स की बुराइयों एवं दुष्प्रभावों से परिवार, समाज एवं राष्ट्र को बचाने के लिए ही हमने ‘ड्रग्स फ्री फरीदाबाद’ का सपना देखा है और इस सपने को साकार करने के लिए मजबूत पहल शुरु हो चुकी है।

सामान्य ड्रग्स से आशय उन रासायनिक पदार्थों से है, जिन्हें लेने से मस्तिष्क पर उसकी रासायनिक प्रतिक्रिया होती है तथा शरीर और मन के सामान्य कार्यकलापों पर प्रभाव पड़ता है। ड्रग्स का सामान्य अर्थ दवा या औषधि भले ही है, लेकिन सामाजिक विज्ञानों में यह शब्द उन मादक द्रव्यों के लिए प्रयुक्त होता है, जिनका सेवन गैरकानूनी माना जाता है। इन पदार्थों का अधिक मात्रा में बार-बार सेवन किए जाने से जब व्यक्ति के शारीरिक तथा मानसिक कार्यकलापों पर हानिकारक प्रभाव पड़ने लगता है, तो यह अवस्था ‘ड्रग अब्यूस’ या ‘ड्रग एडिक्शन’ कहलाती है।

नशे की लत व्यक्ति को एसे जकड़ लेती है प्रायः सामान्य जीवन जीने लायक नहीं रह पाता। वह स्वयं को शारीरिक मानसिक एवं आर्थिक स्तरों पर तबाह कर लेता युवा वर्ग ड्रग्स की अंधेरी गली में कई कारणों से प्रवेश करता है।

कभी इसका कारण जीवन का अकेलापन होता है, तो कभी भावनात्मक असुरक्षा अथवा माता-पिता से मिलने वाले प्यार में कमी। घरेलू कलह, जीवन की असफलताएं, विभिन्न कारणों से मिलने वाला तनाव, गलत संगत, एक अनूठे आनंद की अनुभूति की ललक, पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव, समस्याओं से निजात की क्षणिक अनुभूति, मित्रों का दबाव या दुष्प्रेरणा आदि वे मुख्य कारण हैं, जो युवकों तथा कभी-कभी अल्पवयस्कों तक को नशे का आदी बना देते हैं। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फैले ड्रग्स माफिया के संजाल में सम्मिलित लोग भी अपना धंधा चमकाने के लिए युवकों को गुमराह कर ड्रग्स का आदी बनाते हैं।

इस दौरान डॉ अंशुल सिंगला ने जानकारी देते हुए बताया कि शहर से नशे को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए सभी जोनो के ए.सी.पी. अपने अधिन पुलिसकर्मीयो का नेतृत्व करेंगे और उनको दिशा निर्देश देंगे ताकि फरीदाबाद शहर के नव युवकों को नशे से बचाया जा सके।

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