गुरुग्राम (मदन लाहौरिया) 3 दिसंबर। गुरुग्राम में जिस प्रकार से समस्याओं का अंबार लगा है उस से तो लगता है कि गुरुग्राम का प्रशासन तो आँख बंद करके सो गया है परंतु यहां के नागरिक फिर भी समय रहते सचेत हो गये हैं! यहां के लगभग सभी सेक्टरों में कूड़े कर्कट की बड़ी भारी समस्या है! पीने के पानी की गंदी सप्लाई आने की अधिकांश समय खबरें मिलती रहती हैं! जल निकासी की व्यवस्था भी सुचारु रूप से नहीं है! ड्रेनेज व सीवरेज सिस्टम चरमरा चुका है! सडक़ों की हालात ठीक नहीं है! गुरुग्राम के बढिय़ा व आधुनिक इलाके में भी ग्रीन बेल्ट विकसित नहीं की गई! केवल कुछ पार्कों को छोडक़र शहर की कालोनियों के अधिकांश पार्क बगैर विकसित उबड़ खाबड़ अवस्था में पड़े हैं! सरकारी योजनाओं में रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम का प्रचार तो खूब किया गया परंतु यदि गुरुग्राम के पार्कों में रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाये जाने की बात पूछी जाये तो उसका परिणाम जीरो है! सोलर सिस्टम की योजना भी फेल के बराबर है! जब इतनी सारी योजनायें गुरुग्राम में फेल हैं तो फिर पास क्या है! गुरुग्राम में पास तो केवल कूड़ा कर्कट ही है!
साइबर सिटी कहलाने वाले इस शहर की स्थिति बद से भी बदतर होती जा रही है! पिछले पांच सालों में ऐसा क्यों और कैसे हुआ! जरा इस बात पर गंभीरता से सोचें! गुरुग्राम शहर की इस बदसूरत तस्वीर का नजारा तो शहर के सब से धनी लोगों के सेक्टर 15 पार्ट वन एंड टू की खराब सफाई व्यवस्था से ही नजर आ जायेगा! इस सेक्टर की सडक़ें टूटी हुई व जगह जगह पर कूड़े कर्कट के ढ़ेर मिलेंगे और ग्रीन बेल्ट पर लोगों का अतिक्रमण मिलेगा! इस सेक्टर में इतनी सारी समस्यायें होने पर भी प्रशासन इस सेक्टर को साफ सुधरा बताता है! इसका मुख्य कारण है कि इस सेक्टर में सत्तासीन भाजपा सरकार के उच्च स्तरीय नेता व सरकारी अधिकारी रहते है! इस सेक्टर की सफाई व्यवस्था ठीक ना होने पर भी सरकार को ठीक होने की रिपोर्ट भेजी जाती है और जब कोई पत्रकार इस सेक्टर की सफाई व्यवस्था की दुर्दशा व अन्य कमियों के बारे में कड़वा सच लिखता है तो उसे सरकार विरोधी मान लिया जाता है जब कि खबर की कड़वी सच्चाई तो जनहित में होती है!